रविवार, 18 फ़रवरी 2018

करवा चौथ अवैदिक है

करवा चौथ अवैदिक है

"पत्युराज्ञां विना नारी उपोष्य व्रतचारिणी ।आयुष्यं हरते भर्तुः सा नारी नरकं व्रजेत् ।।"(चाणक्य-नीतिः--१७.०९)

अर्थः--जो स्त्री पति की आज्ञा के विना भूखों मरने वाला व्रत रखती है, वह पति की आयु को घटाती है और स्वयं मंहान् कष्ट भोगती है ।

विश्लेषणः---

महर्षि मनु ने भी भूखे रहने वाले व्रतों का खण्डन किया है---

"पत्यौ जीवति या तु स्त्री उपवासं व्रतं चरेत् । आयुष्यं हरते भर्तुर्नरकं चैव गच्छति ।।" (मनु स्मृतिः---५.१५५)


अर्थः---जो स्त्री पति के जीवित रहने पर व्रत या उपवास करती है, वह अपने पति की आयु को घटाती है और स्वयं नरक में जाती है ।

स्त्रियाँ करवा चौथ का व्रत रखती हैं और इसे अत्यन्त शुभ मानती हैं परन्तु कबीरदास ने इसका प्रबल खण्डन किया  है---

"राम नाम को छाँडिके राखै करवा चौथि । सो तो ह्वैगी सूकरी तिन्है राम सो कौथि ।।"

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