मंगलवार, 13 जून 2017

माँ सर्वश्रेष्ठ


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"नाSन्नोदकसमं दानं न तिथिर्द्वादशी समा ।
न गायत्र्याः परो मन्त्रो न मातुः परं दैवतम् ।।"
(चाणक्य-नीति---१७.७)

अर्थः---अन्न और जल के समान कोई दान नहीं है, द्वादशी के समान कोई तिथि नहीं है, गायत्री से बढकर कोई मन्त्र नहीं है और माता से बढकर कोई देवता है ।

अन्न और जल के समान कोई दान नहीं हैः---

"अन्नं वै प्राणिनां प्राणा अन्नमोजो बलं सुखम् ।
तस्मात्कारणात्सद्भिरन्नदः प्राणदः स्मृतः ।।"
(भविष्यपुराण--१६९.३०)

अन्न प्राणियों का प्राण है । अन्न ही ओज, बल और सुख है । इस लिए श्रेष्ठ पुरुष अन्नदाता को प्राणदाता कहते हैं ।

गायत्री से बढकर कोई मन्त्र नहीं हैः---

"गायत्र्या न परं जप्यं गायत्र्या न परं तपः ।
गायत्र्या न परं ध्यानं गायत्र्या न परं हुतम् ।।"


माता से बढकर कोई देवता नहीं हैः---

"नास्ति मातृसमो गुरुः"
(महाभारत, अनुशासनपर्व--१०५.१५)

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