रविवार, 11 सितंबर 2016

धैर्यशील महान्

!!!---:धैर्यशील महान् :---!!!
=======================

"युगान्ते प्रचलते मेरुः कल्पान्ते सप्त सागराः ।
साधवः प्रतिपन्नार्थान् न चलन्ति कदाचन ।।"
(चाणक्य-नीतिः--१३.१९)

अर्थः---युग के अन्त में सुमेरु पर्वत भी चलायमान हो जाता है, कल्प के अन्त में सातों समुद्र भी अपनी मर्यादा को छोड देते हैं, परन्तु श्रेष्ठ और धैर्यवान् पुरुष अपने हाथ में लिए हुए कार्य को अथवा अपनी की हुई प्रतिज्ञा से कभी भी विमुख नहीं होते ।

विमर्शः----सज्जन अपनी प्रतिज्ञा को कभी नहीं छोडते । एक प्रसंग देखिए----

"उदयति यदि भानुः पश्चिमे दिग्विभागे, प्रचलति यदि मेरुः शीततां याति वह्निः ।
विकसति यदि पद्मं पर्वताग्रे शिलायां न भवति पुनरुक्तं भाषितं सज्जनानाम् ।।"
(नीतिशतकम्)

अर्थः---चाहे सूर्य पश्चिम दिशा से उदित हो जाए, चाहे मेरु पर्वत अपने स्थान से विचलित हो जाए, चाहे अग्नि अपनी शीतलता को त्याग दे और चाहे पर्वत के अग्रभाग में शिला पर पद्मपत्र (कमल) खिल जाए, परन्तु सज्जन जो प्रतिज्ञा कर लेते हैं, उसे लाख बाधाएँ पर आने पर भी नहीं छोडते, अर्थात् अपनी वाणी को अन्यथा नहीं करते ।

एक अन्य स्थल पर देखिए, कि सज्जन अपने हाथ में लिए हुए , आरम्भ में किए हुए कार्य को भी नहीं छोडते------

"प्रारभ्यते न खलु विघ्नभयेन नीचैः, प्रारभ्य विघ्नविहिता विरमन्ति मध्याः ।
विघ्नैः पुनः पुनरपि प्रतिहन्यमानाः, प्रारभ्य चोत्तमजनाः न परित्यजन्ति ।।"
(नीतिशतकम्--२६)




अर्थः---नीच (अधम) श्रेणी के पुरुष विघ्नों के भय से किसी कार्य को आरम्भ ही नहीं करते । मध्यम श्रेणी के लोग कार्य को आरम्भ तो कर देते हैं, परन्तु विघ्नों के भय से विचलित होकर बीच में ही छोड देते हैं, किन्तु उत्तम श्रेणी के लोग विघ्नों द्वारा बार-बार ताडित किए जाने पर भी आरम्भ किए हुए कार्य को पूर्ण किए बिना नहीं छोडते ।
==============================

www.vaidiksanskrit.com

===============================
हमारे सहयोगी पृष्ठः--
(१.) वैदिक साहित्य हिन्दी में
www.facebook.com/vaidiksanskrit
(२.) वैदिक साहित्य और छन्द
www.facebook.com/vedisanskrit
(३.) लौकिक साहित्य हिन्दी में
www.facebook.com/laukiksanskrit
(४.) संस्कृत निबन्ध
www.facebook.com/girvanvani
(५.) संस्कृत सीखिए--
www.facebook.com/shishusanskritam
(६.) चाणक्य नीति
www.facebook.com/chaanakyaneeti
(७.) संस्कृत-हिन्दी में कथा
www.facebook.com/kathamanzari
(८.) संस्कृत-काव्य
www.facebook.com/kavyanzali
(९.) आयुर्वेद और उपचार
www.facebook.com/gyankisima
(१०.) भारत की विशेषताएँ--
www.facebook.com/jaibharatmahan
(११.) आर्य विचारधारा
www.facebook.com/satyasanatanvaidi
(१२.) हिन्दी में सामान्य-ज्ञान
www.facebook.com/jnanodaya
(१३.) संदेश, कविताएँ, चुटकुले आदि
www.facebook.com/somwad
(१४.) उर्दू-हिन्दी की गजलें, शेर-ओ-शायरी
www.facebook.com/dilorshayari
(१५.) अन्ताराष्ट्रिय कवि प्रवीण शुक्ल
www.facebook.com/kavipraveenshukla
(१६.) सूक्ति-सुधा
www.facebook.com/suktisudha
(१७.) आर्यावर्त्त-गौरवम्
www.facebook.com/aryavartgaurav
(१८.) संस्कृत नौकरी
www.facebook.com/sanskritnaukari
हमारे समूहः---
(१.) वैदिक संस्कृत
https://www.facebook.com/groups/www.vaidiksanskrit
(२.) लौकिक संस्कृत
https://www.facebook.com/groups/laukiksanskrit
(३.) ज्ञानोदय
https://www.facebook.com/groups/jnanodaya
(४.) नीतिदर्पण
https://www.facebook.com/groups/neetidarpan
(५.) भाषाणां जननी संस्कृत भाषा
https://www.facebook.com/groups/bhashanam
(६.) शिशु संस्कृतम्
https://www.facebook.com/groups/bharatiyasanskrit
(७.) संस्कृत प्रश्नमञ्च
https://www.facebook.com/groups/sanskritprashna
(८.) भारतीय महापुरुष
https://www.facebook.com/groups/bharatiyamaha
(९.) आयुर्वेद और हमारा जीवन
https://www.facebook.com/groups/vedauraaryurved
(१०.) जीवन का आधार
https://www.facebook.com/groups/tatsukhe
(११.) आर्यावर्त्त निर्माण
https://www.facebook.com/groups/aaryavartnirman
(१२.) कृण्वन्तो विश्वमार्यम्
https://www.facebook.com/groups/krinvanto
(१३) कथा-मञ्जरी
https://www.facebook.com/groups/kathamanzari
(१४.) आर्य फेसबुक
https://www.facebook.com/groups/aryavaidik
(१५.) गीर्वाणवाणी
https://www.facebook.com/groups/girvanvani
(१६) वीरभोग्या वसुन्धरा
https://www.facebook.com/groups/virbhogya
(१७.) चाणक्य नीति को पसन्द करने वाले मित्र
https://www.facebook.com/groups/chaanakyaneeti/
(१८.) वैदिक संस्कृत मित्र
https://www.facebook.com/groups/vedicsanskrit/
(१९.) कुसुमाञ्जलिः
https://www.facebook.com/groups/kusumanjali/
(२०.) संस्कृत नौकरी 
https://www.facebook.com/groups/sanskritnaukari
(२१.) सूक्ति-सूधा
https://www.facebook.com/groups/suktisudha/

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें