बुधवार, 10 अगस्त 2016

स्वर्गवासी व्यक्तियों के लक्षण

!!!---: स्वर्गवासी व्यक्तियों के लक्षण :---!!!
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"स्वर्गस्थितानामिह जीवलोके चत्वारि चिह्नानि वसन्ति देहे ।
दानप्रसंगो मधुरा च वाणी देवार्चनं ब्राह्मणतर्पणम् ।।"
(चाणक्य-नीतिः--7.16)

अर्थः---इस संसार में रहते हुए वही व्यक्ति स्वर्ग को प्राप्त कर सकता है, जिनके ये चार लक्षण हों---

(1.) दान देने का स्वभाव,
(2.) मधुर-भाषण (मीठा बोलना),
(3.) परमात्मा की उपासना,
(4.) ब्राह्मण (वेदविद्या के विद्वान्) को तृप्त करना ।

विमर्शः---इस संसार में स्वर्ग में रहनेवाले---इस कथन से सिद्ध होता है कि स्वर्ग यहीं है और वह स्वर्ग क्या है---"आदर्श गृहस्थाश्रम ।" प्रत्येक आदर्श गृहस्थी के जीवन में चार बातें होती हैः---

(1.) वे दानशील होते हैं । वे सैकडों हाथों से कमाते हैं और हजार हाथों से बाँट देते हैं ।

(2.) वे मधुरभाषी होते हैं, वे जब बोलते हैं तो उनके मुख से फूल झडते हैं । उनकी जिह्वा के अग्रभाग पर मधु होता है और जिह्वा के मूल (हृदय) में मधु का छत्ता ।

(3.) वे देवों का आदर करने वाले होते हैं । उपनिषद् के अनुसार वे माता-पिता, अतिथि और आचार्य इन देवों का आदर-सत्कार कर उन्हें सदा प्रसन्न और सन्तुष्ट रखते हैं ।



(4.) वे ब्राह्मण (वेद के विद्वान्) और ब्रह्म को जानने वाले विद्वानों को भोजन, वस्त्र आदि के द्वारा सदा तृप्त करते हैं ।
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