गुरुवार, 11 मई 2017

कौन किसका बल


"दुर्बलस्य बलं राजा बालानां रोदनं बलम् ।
बलं मूर्खस्य मौनित्वं चौराणामनृतं बलम् ।।"
(चाणक्य-शतकम्--१.८१)
आचार्य चाणक्य ने एक अन्य स्थल पर लिखा है :---
ब्राह्मणों का बल तेज और विद्या है , राजाओं का बल सेना है, वैश्यों का बल धन और पशु-पालन है तथा शूद्रों का बल सेवा करना हैः---
"बलं विद्या च विप्राणां राज्ञां सैन्यं बलं तथा ।
वित्तं च वैश्यानां शूद्राणां परिचर्यिका ।।"
(चाणक्य-नीति--२.१६)
महात्मा विदुर ने भी लिखा हैः---
"हिंसा बलमसाधूनां राज्ञां दण्डविधिर्बलम् ।
शूश्रूषा तु बलं स्त्रीणां क्षमा गुणवतां बलम् ।।"
(विदुरनीतिः--२.७५)
दुष्ट पुरुषों का बल हिंसा होता है, राजाओं का बल दण्डविधान है, स्त्रियों का बल सेवा है और गुणीजनों का बल क्षमा है ।
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