!!!---: असावधानी से हानि :---!!!
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"आलस्योपहता विद्या परहस्तगताः स्त्रियः ।
अल्पबीजं हतं क्षेत्रं हतं सैन्यमनायकम् ।।"
(चाणक्य-नीतिः---5.7)
अर्थः----आलस्य से विद्या नष्ट हो जाती है , दूसरे के पास गई हुई स्त्री नष्ट हो जाती है, बीज की कमी से खेत नष्ट हो जाता है और सेनापति से रहित सेना मारी जाती है ।
विमर्शः----देखिए नारी कैसे नष्ट होती हैः---
"परहस्तगता नारी लेखनी चैव पुस्तकम् ।
न पुनरायान्त्यायान्ति चेद् भ्रष्टा मुष्टा चुम्बिता ।।"
अर्थःः---दूसरे के हाथ में गई हुई नारी, लेखनी और पुस्तक वापस नहीं आती और यदि आती है तो लेखनी भ्रष्टा (टूट-फूटकर) पुस्तक मुष्टा (मुडी-तुडी) और नारी चुम्बिता अर्थात् दूषित होकर ।
नायक के बिना सेना कैसे नष्ट हो जाती हैः---
"अनायका विनश्यन्ति नश्यन्ति बहुनायकाः ।
स्त्रीनायका विनश्यन्ति नश्यन्ति बालनायकाः ।।"
सेनापति से रहित सेना नष्ट हो जाती है, बहुते से नेता वाले नागरिक भी नष्ट हो जाते है (आज भारत की दुर्दशा का मुख्य कारण यही है) और जहाँ बालक (मूर्ख) नेता होते हैं, वे भी नष्ट हो जाते हैं । (भारत की दुर्दशा का एक कारण यह भी है ।)
चाणक्य नीति
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"आलस्योपहता विद्या परहस्तगताः स्त्रियः ।
अल्पबीजं हतं क्षेत्रं हतं सैन्यमनायकम् ।।"
(चाणक्य-नीतिः---5.7)
अर्थः----आलस्य से विद्या नष्ट हो जाती है , दूसरे के पास गई हुई स्त्री नष्ट हो जाती है, बीज की कमी से खेत नष्ट हो जाता है और सेनापति से रहित सेना मारी जाती है ।
विमर्शः----देखिए नारी कैसे नष्ट होती हैः---
"परहस्तगता नारी लेखनी चैव पुस्तकम् ।
न पुनरायान्त्यायान्ति चेद् भ्रष्टा मुष्टा चुम्बिता ।।"
अर्थःः---दूसरे के हाथ में गई हुई नारी, लेखनी और पुस्तक वापस नहीं आती और यदि आती है तो लेखनी भ्रष्टा (टूट-फूटकर) पुस्तक मुष्टा (मुडी-तुडी) और नारी चुम्बिता अर्थात् दूषित होकर ।
नायक के बिना सेना कैसे नष्ट हो जाती हैः---
"अनायका विनश्यन्ति नश्यन्ति बहुनायकाः ।
स्त्रीनायका विनश्यन्ति नश्यन्ति बालनायकाः ।।"
सेनापति से रहित सेना नष्ट हो जाती है, बहुते से नेता वाले नागरिक भी नष्ट हो जाते है (आज भारत की दुर्दशा का मुख्य कारण यही है) और जहाँ बालक (मूर्ख) नेता होते हैं, वे भी नष्ट हो जाते हैं । (भारत की दुर्दशा का एक कारण यह भी है ।)
चाणक्य नीति
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